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जौनपुर – वर्तमान सरकार के कार्यकाल के 01 वर्ष पूर्ण होने पर विभाग द्वारा प्राप्त की गईं विगत 01 वर्ष की उपलब्धियां

जौनपुर - पत्रकार अतुल कुमार तिवारी ✍️

रिपोर्ट – ब्यूरो चीफ, पत्रकार अतुल कुमार तिवारी

बेनकाब भ्रष्टाचार न्यूज़, BBN जौनपुर

जौनपुर –
जिला गन्ना अधिकारी, जौनपुर श्री महेन्द्र कुमार द्वारा बताया गया कि इस वर्ष 2022-23 जनपद के गन्ना किसानों द्वारा चीनी मिल मिझौड़ा अकबरपुर व चीनी मिल सठियांव को आपूर्ति किये गये गन्ने का उपरोक्त मिलों द्वारा 1168.89 लाख रू. गन्ना मूल्य भुगतान किया गया है। गन्ना किसानों को पारदर्शी पर्ची निर्गमन हेतु लागू की गई स्मार्ट गन्ना किसान (एस.जी.के.) योजना के माध्यम से ऑनलाइन सदस्यता दी गई है।
वर्तमान पेराई सत्र 2022-23 में 150 नये गन्ना कृषक गन्ना समिति शाहगंज में ऑनलाइन सदस्यता ग्रहण कर गन्ने की खेती से जुड़े हैं व चीनी मिलां को गन्ना आपूर्ति कर रहे हैं। गन्ना खेती के क्षेत्र में ग्रामीण महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए गन्ना विभाग द्वारा अनूठी योजना शुरू की गई है। इस योजना में ग्रामीण महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए सिंगल बड चिप व चिप विधि से गन्ने की पौध तैयार करने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। जनपद में 401 महिलायें इस योजना से जुड़ी हैं। जो इस योजना के अन्तर्गत पौध की की बिक्री कर आय अर्जित कर रही हैं। गन्ने की उत्पादकता बढ़ाने, उत्पादन लागत में कमी लाने एवं उच्च चीनी परतायुक्त गुणवत्तपूर्ण गन्ना उत्पादन के दृष्टिगत विभाग द्वारा गन्ना उत्पादन के प्रमुख पांच घटकों यथा-शरदकालीन गन्ना बुवाई, सहफसली खेती, ट्रेंच विधि से बुवाई, ड्रिप सिंचाई संयंत्रों की स्थापना, पेड़ी प्रबन्धन व ट्रैश मल्चिंग को सम्मिलित कर पंचामृत योजना लागू की गयी है जिससे किसानों की उत्पादकता एवं आय में वृद्धि हुई तथा लागत में कमी आई है। टें्रच विधि से गन्ना बुवाई करने से गन्ने का जमाव व व्यांत अधिक बनती है जिससे उपज बढ़ जाती है। टैं्रच विधि से वर्ष 2022-23 में जनपद में 292 हेक्टेअर बुवाई की गई है। गन्ने के साथ आलू एवं लहसुन की सहफसली खेती करने से आलू एवं लहसुन की उपज के साथ ही गन्ने की पैदावार लगभग 10 प्रतिशत बढ़ जाती है। वर्ष 2022-23 में जनपद में 292 हेक्टेयर सहफसली खेती हुई। गन्ने की खेती में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा उत्पन्न करने के उद्देश्य से विभाग द्वारा उत्कृष्ट कार्य योजना को प्रदेश में लागू किया गया है। इस योजना के अन्तर्गत विजेताओं को प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय पुरस्कार के रूप में क्रमशः रू. 51000, 31000 एवं 21000 की नकद धनराशि के साथ-साथ स्मृति चिन्ह एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान किये जायेंगे। दिन-प्रतिदिन जल स्तर में हो रही कमी में सुधार हेतु भू-जल संचयन, उत्पादन एवं गन्ना उत्पादकता में वृद्धि के दृष्टिगत ड्रिप सिंचाई पद्धति के माध्यम से पौधों को सीधे जल उपलब्ध कराकर गुणवत्तयुक्त उत्पादन के साथ-साथ जल व ऊर्जा की बचत भी होती है। ड्रिप सिंचाई योजनान्तर्गत वर्ष 2022-23 में 383 हेक्टेअर का लक्ष्य प्राप्त है जिसकी पूर्ति उद्यान विभाग के सहयोग से की जा रही है। पेड़ी की पैदावार लेने से पौधे गन्ने की तुलना में 20 से 22 प्रतिशत कम लागत आती है। वर्ष 2022-23 में लक्ष्य के अनुसार 150 हेक्टेअर में पेड़ी प्रबन्धन कार्य सम्पन्न हुआ है। जैव उर्वरकों के प्रयोग से मृदा में अघुलनशील फासफोरस घुलनशील अवस्था में बदल जाती है जिसका प्रयोग पौधे आसानी से कर लेते हैं। किसानों द्वारा गन्ने की कटाई उपरान्त अवशेष की मल्चिंग कर दी जाती है जिससे मृदा में कार्बेनिक पदार्थां की पूर्ति होती है तथा उर्वरा शक्ति बढ़ती है, साथ ही साथ नमी संरक्षण से सिंचाई जल की बचत होती है। गन्ना विकास विभाग गन्ना कृषकां को कुशल मार्गदर्शन, उत्तम तकनीकी प्रशिक्षण व निरन्तर मॉनिटरिंग के द्वारा कृषकों की आय को दोगुना करने के लक्ष्य की ओर अग्रसर है।

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