संत कबीर नगर खलीलाबाद

कलयुग मे कल्पवृक्ष के समान है श्रीमद्भागवत कथा : आचार्य राम नारायण – महुली कस्बा मे चल रहे श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ मे सोमवार की कथा मे*ब्यूरो अश्विनी कुमार पाण्डेय


धनघटा!
कथा की सार्थकता तब सिध्द होती है, जब इसे हम अपने जीवन में व्यवहार में धारण कर निरंतर हरि स्मरण करते हुए अपने जीवन को आनंदमय, मंगलमय बनाकर अपना आत्म कल्याण करें। अन्यथा यह कथा केवल मनोरंजन, कानों के रस तक ही सीमित रह जाएगी। उपरोक्त उपदेश महुली कसबा चल रहे श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ मे सोमवार को आचार्य राम नारायण धर द्विवेदी जी ने बताया! धुनधकारी की कथा और श्रीमद्भागवत कथा महात्म्य की कथा सुनाया!
कथा ब्यास ने कहा कि भागवत कथा से मन का शुद्धिकरण होता है। इससे संशय दूर होता है और शांति व मुक्ति मिलती है। इसलिए कथा अनुकरण कर निरंतर हरि स्मरण और भागवत कथा श्रवण करने की जरूरत है।श्रीमद भागवत कथा श्रवण से जन्म जन्मांतर के विकार नष्ट होकर प्राणी मात्र का लौकिक व आध्यात्मिक विकास होता है। जहां अन्य युगों में धर्म लाभ एवं मोक्ष प्राप्ति के लिए कड़े प्रयास करने पड़ते हैं, कलियुग में कथा सुनने मात्र से व्यक्ति भवसागर से पार हो जाता है। सोया हुआ ज्ञान वैराग्य कथा श्रवण से जाग्रत हो जाता है। कथा कल्पवृक्ष के समान है, जिससे सभी इच्छाओं की पूर्ति की जा सकती है! भागवत पुराण अट्ठारह पुराणों में से एक है। भगवान की विभिन्न कथाओं का सार श्रीमद्भागवत मोक्ष दायिनी है। इसके श्रवण से परीक्षित को मोक्ष की प्राप्ति हुई! कलियुग में श्रीमदभागवत कथा सुनने से प्राणी को मुक्ति प्राप्त होती है! सत्संग व कथा के माध्यम से मनुष्य भगवान की शरण में पहुंचता है, वरना वह इस संसार में आकर मोहमाया के चक्कर में पड़ जाता है! इसीलिए मनुष्य को समय निकालकर श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण करना चाहिए। बच्चों को संस्कारवान बनाकर सत्संग कथा के लिए प्रेरित करें। वास्तव में भगवान की कथा के दर्शन हर किसी को प्राप्त नहीं होते। कलियुग में भागवत साक्षात श्रीहरि का रूप है। पावन हृदय से इसका स्मरण मात्र करने पर करोड़ों पुण्यों का फल प्राप्त हो जाता है। इस कथा को सुनने के लिए देवी देवता भी तरसते हैं और दुर्लभ मानव प्राणी को ही इस कथा का श्रवण लाभ प्राप्त होता है। श्रीमद्भागवत कथा के श्रवण मात्र से ही प्राणी मात्र का कल्याण संभव है।
इस दौरान कथा के मुख्य यजमान राजेन्द्र मिश्र व उनकी धर्म पत्नी इन्द्रावती देवी, बीरेंद्र मिश्र, सत्यभामा, योगेन्द्र उर्फ पप्पू, कुशमान्जली, धर्मेन्द्र, श्यामू मिश्र, ज्ञानेन्द्र, आदित्य, हिमांशू, इन्दू, सुमन, संध्या, फणीश चंद मिश्र, शत्रुधन मिश्र, राहुल, श्रवण मिश्र, बिशेष, दीपू आदि मौजूद रहे!

बेनकाब भ्रष्टाचार

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