*प्रशासन द्वारा हाईकोर्ट के आदेश का हवाला देते दुकानों पर चलवायेे बुलडोजर को लेकर आमजन के स्वर मुखर* *काश! इसी तरह अकबरपुर नगर की प्रतिबंधित जमीनों से अवैध कब्जा हटवाते अधिकारी*
बेनकाब भ्रष्टाचार बीबी न्यूज़ इंडिया
*प्रशासन द्वारा हाईकोर्ट के आदेश का हवाला देते दुकानों पर चलवायेे बुलडोजर को लेकर आमजन के स्वर मुखर*
*काश! इसी तरह अकबरपुर नगर की प्रतिबंधित जमीनों से अवैध कब्जा हटवाते अधिकारी*
अंबेडकरनगर। थाना अकबरपुर क्षेत्र के जुड़वा कस्बा शहजादपुर स्थित मालीपुर रोड पर हाईकोर्ट के आदेश का हवाला देते हुये प्रशासन द्वारा आसियानों पर चलवाये बुलडोजर को लेकर आमजन के स्वर मुखर होने लगे है कि काश! इसी तरह नगर के विभिन्न स्थानों के सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जों को प्रशासन गंभीरता से लेता।
ज्ञात हो कि दोस्तपुर रोड चैराहा के पूर्वी छोर पर निकट क्रय-विक्रय समिति के पास तीन दुकाने जिन्हे लगभग 40 साल से उसी स्थान पर संचालित होना बताया जा रहा हैं। इन दुकानों पर बृहस्पतिवार को सायं उस समय एसडीएम सदर, क्षेत्राधिकारी नगर, लोक निर्माण विभाग के अभियन्ता, प्रभारी निरीक्षक सहित राजस्व के लेखपाल व पालिका कर्मी आदि यह कहते बुलडोजर चलवाना शुरू कर दिया कि हाईकोर्ट का आदेश है, ये सभी पीडब्ल्यूडी की भूमि में शामिल हैं।
इस मौके पर दुकानों के मालिक यह कहते रहे कि साहब हम लोगों को भी आदेश दिखा दीजिए किन्तु कोई कुछ सुनने को तैयार नहीं हुये बस कोर्ट का आर्डर है जिसे पालन कर जबाब देना है, कहते रहे।
रात्रि 8 बजे तक बुलडोजर चलता रहा, इधर मरैला उपकेन्द्र से विद्युत आपूर्ति को बाधित कर दी गयी जिससे इस उपकेन्द्र क्षेत्र के उपभोक्ताओं को रात्रि 8 बजे तक अंधेरे में रहने को विवश होना पड़ा। इसे लेकर नगरवासियों समेत प्रवुद्ध वर्गीय लोगों का कहना है कि प्रशासन ने हाईकोर्ट के आदेश का पालन किया, यह सराहनीय कार्य है किन्तु यदि इन्ही दुकानों को अतिक्रमण माना गया तो इसके इर्द-गिर्द क्या अतिक्रमण नहीं हैं, इसे भी अतिक्रमण सेे मुक्त कराना चाहिए।
लोगों का यह भी कहना है कि समूचे नगर क्षेत्र में चाहे तमसा नदी का तट हो या अन्य स्थानों पर जिधर भी देखिए तालाब, कुंआ, पोखरा, चारागाह, खलिहान के अलावा अन्य प्रतिबंधित जमीने जो वर्तमान के राजस्व अभिलेख में भी दर्ज है, क्या इसमें सुप्रीम कोर्ट का आदेश नहीं है? आखिर क्या वजह है कि इन्ही दुकानों को निशाना बनाया गया और सच्चाई बताने से भी प्रशासनिक अधिकारी मुकरते रहे, इसमें जरूर कही न कहीं दाल में काला है।
मामले में स्पष्ट बताने के बजाय हीला हवाली करते रहे जिम्मेदार अधिकारी
उक्त के सम्बंध में उपजिलाधिकारी सदर से सम्पर्क किया गया जिन्होने काल रिसीव करते हुये यह कहते पीछा छुड़ा लिया कि अभी आधा घण्टे के पश्चात् बात कर पायेंगे।
विद्युत आपूर्ति बाधित होने के मामले में अधिशाषी अभियन्ता ने बताया कि कही अतिक्रमण हटवाया जा रहा है और वहां ऊपर से विद्युत तार गया है जिसके लिए एसडीएम ने आपूर्ति रोकने के लिए कहा है।
अधिशाषी अभियन्ता लोक निर्माण विभाग से उनका पक्ष जानने के लिए प्रयास किया गया किन्तु मोबाइल नाट रिच्युबल बोलता रहा जिससे बात नहीं हो सकी। पालिका प्रशासन भी हाईकोर्ट के आदेश के बारे में कुछ स्पष्ट नहीं बता सका।













