बस्ती जिले में घाघरा नदी का कहर जारी नदी के किनारे बसे गांव में दहशत जिला प्रशासन घाघरा नदी के हो रहे कटान रोकने में असफल वहीं सरकारी तंत्र के खिलाफ ग्रामीणों में काफी रोष । वहीं जिला अधिकारी बस्ती माला श्रीवास्तव ने कहा कि मैंने बंदे का निरीक्षण किया अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए गए हैं हर हाल में ग्रामीणों को कोई नुकसान नहीं होने दिया जाएगाबस्ती जिले में घाघरा नदी के बढ़ते जल स्तर ने किसानों अब नींद उड़ा दी है, भीषण कटान की वजह से किसानों का खेत नदी की धाराओं में विलीन हो रहें है तो वहीं कुछ किसानों के खेत नदी की धारा में विलीन हो चुके हैं, किसानों की खड़ी फसल उन की आंखों के सामने ही नदी में समाती जा रही है, वही कुछ में इतनी दहशत है कि कटान के डर से अपना पक्का मकान तोड़ कर मटेरियल सुरक्षित जगहों पर ले जा रहे हैं, पीड़ित किसानों को राहत देने के लिए जिला प्रशासन ने भी अभी तक कोई पहल नहीं की है,अपनी कड़ी मेनहत से लोगों का पेट भरने वाले किसानों के सानमे आज खुद ही रोजी रोटी का संकट आ खड़ा हुआ है, घाघरा नदी के बढ़ते जल स्तर ने किसानों की नींद गायब कर दी है, घाघरा नदी इस वक्त भीषण कटान कर रही है, जिन किसानों का खेत नदी के किनारे है उन का खेत नदी में विलीन होता जा रहा है, किसानों ने खेत में इस समय परवल, लौकी आदि की खेती की है, लेकिन भीषण कटान की वजह से फसल समेत खेत नदी में विलीन होता जा रहा है, दुबौलिया ब्लाक के माझा इलाके के दर्जनों गांवों में भीषण कटान हो रही है, ।जिसकी वजह से किसानों की खड़ी फसल उन के आंखों के सामने नदी में समा जा रही है, लेकिन बेबस किसान कुछ कर नहीं पा रहे हैं, बचा-कुचा खेत भी कटान की वजह से नदी में समाता जा रहा है, ऐसे में उन के सामने रोजी-रोटी का संकट मंडरा रहा हैआप को बता दें घाघरा नदी हर साल अपनी दिशा बदलती है, जिसकी वजह से हजारों बीघा जमीन कट कर नदी में समा जाती है, नदी को डायवर्ट करने के लिए तमाम ठोकर बनाए गए हैं, और इस बार ड्रेजिंग सिस्टम से भी नदी की धारा मोड़ने के लिए पिछले 6 महीने से काम चल रहा था, लेकिन सरकार का कई करोड़ रुपए पानी में बह गया और कागजों में सिमट कर रह गया।दिलासपुर गांव में भीषण कटान से लोग इतने खौफजदा है की अपना पक्का मकान तोड़ कर ईंट, सरिया, दरवाजा, खिड़की ले जा रहे है, ताकि कटान की वजह से मकान नदी में न समा जाए और जो ईंट, दरवाजे लगे हैं वह भी नदी में न समा जाए, दिलासपुर गांव के निवासी वीरेन्द्र सिंह अपना पक्का मकान टोड़ कर मटेरियल को ले जा रहे हैं, लगभग 60 से 70 मीटर की दूरी पर नदी बह रही थी लेकिन कटान की वजह से नदी अब उन के घर के पास आ गई है, एक दिन में नदी 10 से 15 कटान कर आबादी की तरफ बढ़ रही है, इस के अलावा नदी के किनारे जो पेड़ लगाए गए थे ग्रामीण उन को भी काट कर लकड़ी ले जा रहे हैं, क्योंकि कटान की वजह से अब तक बहोत से पेड़ नदी में समा चुके हैं, ग्रामीणों का आरोप है की अभी तक कोई भी अधिकारी उनकी सुधि लेने नहीं आए हैं, पिछली साल उन से कहा गया था की अपना मकान तोड़ कर सामान ले जाएं, उन के लिए जमीन आवंटित कर मकान बनवाया जाएगा लेकिन आज तक न जमीन मिली न ही मकान, जिसकी वजह से बाढ़ में लोग बंधे पर शरण लेने को मजबूर हैं,जिन किसानों की फसल नदी में समा चुकी है उनके सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है, ऐसे में सरकारी मदद की उन को दरकार है, अब देखना ये है कि सरकार किस तरह से किसानों की मदत के लिए सामने आएगी।













